WELCOME TO बी. डी. आर. एस. इन्टर कॉलेज राजा का राम पुर (एटा)

shemford about

संस्थापक जी

का

जीवन परिचय
श्री बनारसी दास जी राम सेवक इंटर कॉलेज संस्थापक स्वनामधन्य् दानवीर पूज्य श्री बाबा बनारसी दास गुप्ता धार्मिक, दयालु ‌‌'' सादा जीवन उच्च विचार '' जैसे विचारों से ओतप्रोत व्यक्ति थे। स्नेह,मृदुता, परोपकार, निर्भीक स्वभाव, संयत विचार, समाज सेवा शालीनता आदि गुणों का संगम उनमें विद्यमान था।
                    आपका जन्म जमीदार धनाठ्य परिवार में हुआ था आपका कारोबार कस्बा कायमगंज जिला फर्रुखाबाद में भी था उनके पुत्र श्री सियाराम गुप्ता एवं पुत्र-वधू का निधन हो गया था अपने एक मात्र पौत्र श्री राम सेवक के साथ रहकर कायमगंज में कारोबार कर रहे थे

                     ईश्वर की कृपा से व्यापार शिखर पर चल रहा था। पूजनीय बाबा श्री का रामपुर मैं अपने भतीजे श्री राजकुमार गुप्त के यहां आए हुए थे। कायमगंज में श्री राम सेवक अकेले ही थे। पड़ोसियों ने जब श्री रामसेवक गुप्त को नहीं देखा तो उन्होंने राजा का रामपुर सूचना भेजी हां पूजनीय बाबा जी को साथ लेकर सभी परिवारीजन कायमगंज गए वहां खोजने पर गोदाम में रखे सौंप के बोरे में उनके सब को छुपा दिया गया था। प्रिय पौत्र के सब को देख कर बाबा अचेत हो गये।
                     पार्थिक शरीर को पंचतत्व मैं विलीन क्रिया कर्म करने के पश्चात पूज्य बाबा श्री को परिवारी जन राजा का रामपुर ले आए यहां श्री राजकुमार गुप्त के पास रहते हुए अपने प्रिय पौत्र की मृत्यु से दुखित ही रहते थे। यही कहते रहते कि मेरा बंश समाप्त हो गया।मेरा नाम मिट गया। श्री राजकुमार गुप्ता के समझाने से कि व्यक्ति जब तक जीवित रहता है तभी तक उसका नाम रहता है सभी उसे जानते हैं परंतु मृत्यु के पश्चात लोग(समाज) उसके पुत्रों पौत्रों को जानते हैं। हम तो यह चाहते हैं कि जब तक यह कस्बा है आपका नाम अमर रहे। आप विद्यालय बनवा दे नित्य हजारों व्यक्ति आपका नाम लेंगे। मैं भी एक ग्राम दतौली की जमीदारी विद्यालय को दान दे रहा हूं।

                       इस प्रकार समझाने से पूज्य बाबा बनारसी दास जी को अत्यंत सांत्वना मिली और अपने परिवारी जनों से श्री राजकुमार गुप्त श्री शांति स्वरूप गुप्त, श्री बृज नारायण गुप्ता, श्री चंद्र प्रकाश, श्री रूपनारायण गुप्त एवं श्री कृष्ण मुरारी गुप्त के परामर्श से सन 1950 में इस पावन विद्यालय का निर्माण कराया।

                       आपने अपनी सभी चल अचल संपत्ति विद्यालय को दान कर दी। कायमगंज में आज भी दुकानें हैं। पूज्य बाबा श्री अपने जीवन काल में विद्यालय में आकर बच्चों(छात्र-छात्रों) को देख प्रसन्न होते थे। यदा-कदा मिष्ठान फलाद भी वितरित करते थे। बच्चों के विद्यालय जाने के समय अपने निवास पर बैठकर स्वयं बच्चों को फल मिष्ठान चना आदि वितरित करते थे।
                        भिन्न-भिन्न तरीकों से दीन दुखियों की सहायता करना उनका अपना स्वभाव था। ऐसे परम भागवत् दानी पूज्य बाबा बनारसी दास को हम सभी बारंबार नमन करते हैं।

                                     

Most Advance

School Education

AS SEEN ON